श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥